बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (CCE) ने हाल ही में कई विवादों और चर्चाओं को जन्म दिया है। यह परीक्षा, जिसे लाखों छात्र सरकारी सेवाओं में अपनी जगह बनाने के लिए देते हैं, इस बार अपने आयोजन और प्रबंधन के कारण सुर्खियों में रही।
परीक्षा की योजना और बदलाव
70वीं CCE प्रारंभिक परीक्षा शुरू में 17 नवंबर 2024 को आयोजित होने वाली थी। हालांकि, बिहार में अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या (लगभग 7-8 लाख) को ध्यान में रखते हुए इसे 13 और 14 दिसंबर 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया गया। परीक्षा के दो दिनों में आयोजित होने का फैसला भी इस भारी संख्या को संभालने के लिए किया गया।
विवाद का कारण
1. अफवाहें और भ्रम
तारीखों के स्थगन के बाद, सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैली कि परीक्षा को जनवरी 2025 तक के लिए फिर से स्थगित कर दिया गया है। इन अफवाहों ने छात्रों में भारी भ्रम और तनाव पैदा किया। हालांकि, BPSC ने आधिकारिक बयान जारी कर इन खबरों को “झूठा और भ्रामक” बताया और स्पष्ट किया कि परीक्षा पूर्व घोषित तारीखों पर ही होगी।
2. पदों की संख्या में बदलाव
परीक्षा के लिए शुरू में 1,957 पदों की घोषणा की गई थी। बाद में इन पदों को बढ़ाकर 2,027 कर दिया गया। यह बदलाव एक ओर छात्रों के लिए खुशी का कारण बना, तो दूसरी ओर परीक्षा की तैयारी और आवेदन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हुए।
3. तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियाँ
अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था और पारदर्शी संचालन के लिए प्रशासन पर भारी दबाव है। छात्रों ने यह भी शिकायत की कि कई केंद्रों पर सुविधाएं उपयुक्त नहीं हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया
BPSC परीक्षाओं को लेकर छात्रों का भरोसा कुछ समय से कमजोर हुआ है। पहले भी प्रश्नपत्र लीक और रिजल्ट में देरी जैसी समस्याएँ सामने आ चुकी हैं। छात्रों ने इस बार भी परीक्षा प्रबंधन को लेकर नाराजगी जताई। कई छात्र संगठनों ने BPSC से पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन की मांग की।
BPSC का पक्ष
BPSC ने इन सभी विवादों के बीच अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि:
1. परीक्षा की तारीख में अब कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
2. सभी अभ्यर्थियों को समय पर उनके एडमिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे।
3. प्रशासनिक स्तर पर सभी केंद्रों पर सुचारू संचालन सुनिश्चित किया जाएगा।
संभावित प्रभाव
1. छात्रों का प्रदर्शन
अचानक तारीख बदलने और अफवाहों के कारण कई छात्रों की तैयारी पर असर पड़ा है। मानसिक तनाव का भी उनके प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है।
2. BPSC की साख पर असर
BPSC की परीक्षा बिहार में सबसे प्रतिष्ठित मानी जाती है। लेकिन हालिया घटनाओं ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
3. पारदर्शिता की आवश्यकता
यह विवाद यह भी दर्शाता है कि आयोग को संचार के बेहतर माध्यम अपनाने की आवश्यकता है ताकि छात्रों को सही जानकारी समय पर मिल सके।
निष्कर्ष
70वीं BPSC CCE से जुड़े विवाद बिहार की प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली की कुछ पुरानी समस्याओं को उजागर करते हैं। इन परीक्षाओं को सुचारू और पारदर्शी तरीके से संचालित करना न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरी व्यवस्था की साख के लिए भी आवश्यक है।
आने वाले समय में, छात्रों को यह उम्मीद है कि BPSC ऐसे विवादों से सबक लेकर अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करेगा और बिहार में सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक निष्पक्ष और कुशल प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करेगा।
0 Comments